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धारा-174 दं0प्र0सं0 में मृत्यु समीक्षा के संबंध में

    

   धारा-174 दं0प्र0सं0 में मृत्यु समीक्षा के संबंध में

1-        धारा-174 दं.प्र.सं. के अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाही का क्षेत्र अत्यंत पर संबंधित है। इसका उद्देश्य मात्र यह सुनिश्चित करना है, कि क्या किसी व्यक्ति की संदेहास्पद परिस्थितियों के अधीन मृत्यु हो गई है या अप्राकृतिक मृत्यु हुई है। यदि ऐसा है तो मृत्यु का प्रत्यक्ष कारण क्या है ?


2-        धारा-174 दं0प्र0सं0 के अंतर्गत क्या मृतक पर हमला किया गया है। किसने हमला किया है। किन परिस्थितियों में हमला हुआ आदि बातें इसकी कार्यवाही और परिधि और क्षेत्र के बाहर की हैं। इसलिए मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट में सभी प्रत्यक्ष कार्या के सभी विवरणों की प    रविष्टि कराना आवश्यक नहीं है। यदि इन चीजों का योग है तो न्यायालय द्वारा अभियोजन कहानी को संदेहास्पद नहीं माना जा सकता है। 

3-        पोददा नारायण बनाम आन्ध्रप्रदेश राज्य ए0आई0आर0 1975 एस0सी0 1252।


4-        शकीला खादर बनाम नौशेर गामा ए0आई0आर0 1975 एस0सी0 1324 के मामले में यदि मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट किसी व्यक्ति के नाम का उल्लेख नहीं है तो यह नहीं माना जा सकता कि ऐसा व्यक्ति प्रत्यक्षदर्शी साक्षी नहीं है।


5-        इकबाल बेग बनाम आंध्रप्रदेश राज्य ए.आई.आर. 1987 एस.सी. 923-मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट में आरोपी का नाम का उल्लेख नहीं होने से यह भी नहीं माना जा सकता कि वह अपराध के समय पस्थित नहीं था क्योंकि मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट ऐसे किसी व्यक्ति का कथन नहीं है एवं सभी नामों का उल्लेख किया जावेगा।


6-        खुज्जी उर्फ सुरेन्द्र तिवारी बनाम मध्यप्रदेश राज्य ए0आई0आर0 1991 एस0सी0 1853-वह 3 न्यायाधीशों की खण्डपीठों में यह अभिनिर्धारित किया है, कि प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों का लाभ मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट में न होने पर उनकी साक्ष्य अविश्वसनीय नहीं हो जाती।


7-        अमरसिंह बनाम बलविन्दर सिंह (2003) 2 एस0सी0सी0 518-जे0टी0-2003 (2) एस0सी0-1 में यह अभिनिर्धारित किया गया है।


8-        राधा मोहन सिंह उर्फ लाल साहब और अन्य बनाम उत्तरप्रदेश राज्य जे0टी0 2006    (1) एस0सी0 482 में 3 जजों की खण्डपीठ में यह अभिनिर्धारित किया है, कि मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट में अभियुक्त व्यक्तियों के नाम उनके पास के आयुध साक्षी के नाम का उल्लेख करना विधि की अपेक्षा नहीं है। मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट मृत्यु के स्पष्ट कारणों को निश्चित करने तक सीमित है और इसमें यह उल्लेख करना भी आवश्यक नहीं है, कि मृतक पर किसने हमला किया था और हमले के साक्षी कौन थे

9-        अतः माननीय उच्चतम न्यायालय के अनेक विनिश्चयों से यह सुस्थापित है, कि मृत्यु समीक्षा करने का प्रयोजन अत्यंत परिसिमित है अर्थात् यह सुनिश्चित करना है, कि क्या किसी व्यक्ति ने आत्महत्या की है या किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा हत्या की गई है या किसी पशु द्वारा या किसी मशीनरी द्वारा उसकी मृत्यु हुई है या कोई दुर्घटना हुई है या उसकी ऐसी परिस्थितियों के अधीन मृत्यु हुई है जो युक्तियुक्त रूप से यह संदेह उत्पन्न करती है कि किसी अन्य व्यक्ति ने अपराध किया है। निश्चित रूप से विधि की यह अपेक्षा नहीं है, कि प्रथम इत्तिला रिपोर्ट के ब्यौरों का उल्लेख किया जाए, अभियुक्तों के नामों या प्रत्यक्षदर्शी साक्षियों के नामों का उल्लेख किया जाये या उनके कथनों का सार लिखा जाये और न ही यह आवश्यक है, कि किसी प्रत्यक्षदर्शी साक्षी द्वारा उस पर हस्ताक्षर कराये जाये।
      

















   

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umesh gupta