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पंच गवाहो द्वारा जप्ती का समर्थन न करने के बारे में

    पंच गवाहो द्वारा जप्ती का समर्थन न करने के बारे में
        कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि पंच साक्षीगण जप्ती का समर्थन नहीं करते है और अभिलेख पर एक मात्र जप्तीकर्ता की साक्ष्य रहती है 

। इस संबंध में वैधाकि स्थिति यह है कि यदि एकमात्र जप्तीकर्ता की साक्ष्य विश्वास किये जाने योग्य हो तब पंच साक्षीगण की पुष्टि के अभाव में भी उस पर विश्वास किया जा सकता है ।

 इस सबंध में न्यायदृष्टांत  नाथू सिंह विरूद्ध स्टेट आफ एम0पी0 ए0आई0आर0 1973 एस0सी0 2783 अवलोकनीय है जो आर्मस एक्ट पर आधारित मामला है और इसमें यह प्रतिपादित किया गया है कि पंच गवाहो के समर्थन न करने के बाद भी यदि पुलिस साक्षीगण की साक्ष्य विश्वास योग्य हो तो उसे विचार में लिया जाना चाहिए ।

        न्याय दृष्टांत काले बाबू विरूद्ध स्टेट आफ एम0पी0 2008 भाग-4 एम0पी0एच0टी0 397 में भी यह प्रतिपादित किया गया है कि अन्य साक्षीगण कहानी का समर्थन नहीं करते मात्र इस कारण पुलिस अधिकारी की गवाह अविश्वसनीय नहीं हो जाती है ।

        न्याय दृष्टांत करमजीत सिंह विरूद्ध स्टेट देहली एडमीनिशटे्रशन 2003  भाग-5 एस0 सी0सी0 297 में  पुलिस अधिकारी की अभिसासक्ष्य का मूल्यांकन भी उसी कसौटी पर किया जाना चाहिये, जिस कसौटी पर किसी दूसरे साक्षी की अभिसाक्ष्य का मूल्यांकन किया जाता है तथा ऐसा कोई विधिक सिद्धांत नहीं है कि स्वतंत्र स्त्रोंत से सम्पुष्टि के अभाव में ऐसी साक्ष्य पर विष्वास नहीं किया जायेगा।
            

भारतीय न्याय व्यवस्था nyaya vyavstha

umesh gupta