भारतीय न्याय व्यवस्था nyaya vyavstha
श्रीमती सरला वर्मा एवं अन्य बनाम दिल्ली परिवहन निगम एवं अन्य, 2009 (2) दुर्घटना और मुआवजा प्रकाशिका 161 (सु.को.) में प्रतिपादित मुख्य सिद्धांत
1. मृत्यु के मामले में मुआवजा निर्धारण के लिये-जहां मृतक विवाहित , है मृतक के व्यक्तिगत एवं जीवन यापन व्ययों के प्रति कटौती का निम्न सिद्धांत परिवार में आश्रितों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया गया है:-
क्रमंाक परिवार में आश्रितों की संख्या व्यक्तिगत एवं जीवन
यापन व्ययों के प्रति कटौती
1 2 से 3 1/3 (एक तिहाई)
2. 4 से 6 1/4 (एक चैथाई)
3. 6 से अधिक 1/5 (एक पांचवा)
2. यदि मृतक अविवाहित है तो व्यक्तिगत एवं जीवन यापन की कटौती 50 प्रतिशत की जाएगी, अविवाहित मृतक की केवल माता ही आश्रित मानी जाएगी, पिता-भाई‘-बहिन नहीं अपवादिक परिस्थितियों में माने जाएंगे।
3. मृत्यु के मामले में प्रयोज्य गुणांक के संबध्ंा में मृतक की आयु के आधार पर निम्नलिखित गुणांक अभिनिर्धारित किया गया है:-
क्रमांक मृतक की आयु प्रयुक्त गुणांक
1. 15 वर्ष तक 20
2. 15 से 20 वर्ष 19
3. 21 से 25 वर्ष 18
4. 26 से 30 वर्ष 17
5. 31 से 30 वर्ष 16
6. 36 से 40 वर्ष 15
7. 41 से 45 वर्ष 14
8. 46 से 50 वर्ष 12
9. 51 से 55 वर्ष 10
10. 56 से 60 वर्ष 8
11. 61 से 65 वर्ष 6
12. 65 से अधिक 5
4. मृत्यु के मामले में संपदा क्षति हेतु 5,000/-रूपये, अंत्येष्टि व्ययों हेतु 5,000/-रूपये और सहजीवन की क्षति हेतु 10,000/-रूपये दिये जायेंगे जो केवल मृतक की उत्तरजीवी विधवा को दिये जाएंगे। मृतक के विधिक उत्तराधिकारीगण को कारित पीड़ा, व्यथा, कठिनाई के लिये कोई राशि नहीं दी जाएगी। (सहजीवन की क्षति केवल विधवा को ही दिलाई जाएगी) ।
5. मृत्यु के पश्चात् हुए वेतन संसोधन को विचारण में ग्रहण नहीं किया जा सकेगा।
6. मृत्यु के मामले में अंत्येष्ठि व्यय, मृत शरीर के परिवहन के व्यय, मृत्यु के पूर्व मृतक के चिकित्सीय उपचार को भी प्रदान किया जाएगा।
7मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 163 (क) के अधीन किए गए दावों तथा धारा 166 के अधीन किए गए दावों के लिए दायित्व तथा मुआवजे की मात्रा के निर्धारण के सिद्धांत भिन्न-भिन्न (अलग-अलग) हैं ।
8. मृत्यु के मामले में मृतक की आयु मृतक की आय, आश्रितों की संख्या तीन बातें प्रमाणित की जानी चाहिए।
9. आश्रितता की क्षति के निर्धारण हेतु आय क निर्धारण होना चाहिए फिर उसमें मृतक के व्यक्तिगत जीवन यापन की कटौती की जानी चाहिए उसके बाद मृतक की आयु के संबंध में गुणांक कर उचित मुआवजा राशि निकाला जाना चाहिए।
श्रीमती सरला वर्मा एवं अन्य बनाम दिल्ली परिवहन निगम एवं अन्य, 2009 (2) दुर्घटना और मुआवजा प्रकाशिका 161 (सु.को.) में प्रतिपादित मुख्य सिद्धांत
1. मृत्यु के मामले में मुआवजा निर्धारण के लिये-जहां मृतक विवाहित , है मृतक के व्यक्तिगत एवं जीवन यापन व्ययों के प्रति कटौती का निम्न सिद्धांत परिवार में आश्रितों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया गया है:-
क्रमंाक परिवार में आश्रितों की संख्या व्यक्तिगत एवं जीवन
यापन व्ययों के प्रति कटौती
1 2 से 3 1/3 (एक तिहाई)
2. 4 से 6 1/4 (एक चैथाई)
3. 6 से अधिक 1/5 (एक पांचवा)
2. यदि मृतक अविवाहित है तो व्यक्तिगत एवं जीवन यापन की कटौती 50 प्रतिशत की जाएगी, अविवाहित मृतक की केवल माता ही आश्रित मानी जाएगी, पिता-भाई‘-बहिन नहीं अपवादिक परिस्थितियों में माने जाएंगे।
3. मृत्यु के मामले में प्रयोज्य गुणांक के संबध्ंा में मृतक की आयु के आधार पर निम्नलिखित गुणांक अभिनिर्धारित किया गया है:-
क्रमांक मृतक की आयु प्रयुक्त गुणांक
1. 15 वर्ष तक 20
2. 15 से 20 वर्ष 19
3. 21 से 25 वर्ष 18
4. 26 से 30 वर्ष 17
5. 31 से 30 वर्ष 16
6. 36 से 40 वर्ष 15
7. 41 से 45 वर्ष 14
8. 46 से 50 वर्ष 12
9. 51 से 55 वर्ष 10
10. 56 से 60 वर्ष 8
11. 61 से 65 वर्ष 6
12. 65 से अधिक 5
4. मृत्यु के मामले में संपदा क्षति हेतु 5,000/-रूपये, अंत्येष्टि व्ययों हेतु 5,000/-रूपये और सहजीवन की क्षति हेतु 10,000/-रूपये दिये जायेंगे जो केवल मृतक की उत्तरजीवी विधवा को दिये जाएंगे। मृतक के विधिक उत्तराधिकारीगण को कारित पीड़ा, व्यथा, कठिनाई के लिये कोई राशि नहीं दी जाएगी। (सहजीवन की क्षति केवल विधवा को ही दिलाई जाएगी) ।
5. मृत्यु के पश्चात् हुए वेतन संसोधन को विचारण में ग्रहण नहीं किया जा सकेगा।
6. मृत्यु के मामले में अंत्येष्ठि व्यय, मृत शरीर के परिवहन के व्यय, मृत्यु के पूर्व मृतक के चिकित्सीय उपचार को भी प्रदान किया जाएगा।
7मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 163 (क) के अधीन किए गए दावों तथा धारा 166 के अधीन किए गए दावों के लिए दायित्व तथा मुआवजे की मात्रा के निर्धारण के सिद्धांत भिन्न-भिन्न (अलग-अलग) हैं ।
8. मृत्यु के मामले में मृतक की आयु मृतक की आय, आश्रितों की संख्या तीन बातें प्रमाणित की जानी चाहिए।
9. आश्रितता की क्षति के निर्धारण हेतु आय क निर्धारण होना चाहिए फिर उसमें मृतक के व्यक्तिगत जीवन यापन की कटौती की जानी चाहिए उसके बाद मृतक की आयु के संबंध में गुणांक कर उचित मुआवजा राशि निकाला जाना चाहिए।
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यदि मृतक अविवाहित है तो व्यक्तिगत एवं जीवन यापन की कटौती 50 प्रतिशत की जाएगी, अविवाहित मृतक की केवल माता ही आश्रित मानी जाएगी, पिता-भाई‘-बहिन नहीं अपवादिक परिस्थितियों में माने जाएंगे आपवादिक परिस्थितियों को स्पस्ट करे
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