भारतीय न्याय व्यवस्था nyaya vyavstha
1. द.प्र.सं. की धारा 391 के तहत आवेदन पेश होने पर उक्त आवेदन का निरा करण अपील के साथ ही किया जाना चाहिए, न्यायालय स्वयं अतिरिक्त साक्ष्य अभिलिखित कर सकता है या विचारण न्यायालय को निर्देशित कर सकता है:-
धारा 391 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अपील न्यायालय आवष्यक समझने पर अतिरिक्त साक्ष्य या तो स्वयं अभिलिखित कर सकता है अथवा संबंधित मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त साक्ष्य अभिलिखित करने का निर्देष दे सकता है।
न्याय दृष्टांत धर्मेन्द्र भंडारी विरूद्ध मध्यप्रदेष राज्य, 2006 क्रि.लाॅ.रि. एम.पी.-216 में यह अभिनिर्धारण किया गया है कि धारा 391 दण्ड प्रक्रिया संहिता के आवेदन का निराकरण अपील के साथ ही किया जाना चाहिये तथा यदि आवेदन पत्र स्वीकार किया जाता है तो अपील न्यायालय मामले को साक्ष्य अभिलिखित करने के लिये अधीनस्थ न्यायालय को भेज सकता है अथवा स्वयं साक्ष्य ले सकता है।
1. द.प्र.सं. की धारा 391 के तहत आवेदन पेश होने पर उक्त आवेदन का निरा करण अपील के साथ ही किया जाना चाहिए, न्यायालय स्वयं अतिरिक्त साक्ष्य अभिलिखित कर सकता है या विचारण न्यायालय को निर्देशित कर सकता है:-
धारा 391 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत अपील न्यायालय आवष्यक समझने पर अतिरिक्त साक्ष्य या तो स्वयं अभिलिखित कर सकता है अथवा संबंधित मजिस्ट्रेट को अतिरिक्त साक्ष्य अभिलिखित करने का निर्देष दे सकता है।
न्याय दृष्टांत धर्मेन्द्र भंडारी विरूद्ध मध्यप्रदेष राज्य, 2006 क्रि.लाॅ.रि. एम.पी.-216 में यह अभिनिर्धारण किया गया है कि धारा 391 दण्ड प्रक्रिया संहिता के आवेदन का निराकरण अपील के साथ ही किया जाना चाहिये तथा यदि आवेदन पत्र स्वीकार किया जाता है तो अपील न्यायालय मामले को साक्ष्य अभिलिखित करने के लिये अधीनस्थ न्यायालय को भेज सकता है अथवा स्वयं साक्ष्य ले सकता है।
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Bachnekaprvdhan
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