अपचारी बालक की सुपुदर्गी या स्वतंत्र करने के संबध्ंा में:

 अपचारी बालक की सुपुदर्गी या स्वतंत्र करने के संबध् में
        
                   न्याय दृष्टांत गड्डो उर्फ विनोद विरूद्ध मध्यप्रदेष राज्य 2006(1) एम.पी.जे.आर. शार्टनोट- 35 

 में अभिनिर्धारित किया गया है, अपचारी बालक को सुुपुर्दगी पर दिये जाने या अभिरक्षा से मुक्त किये जाने के संबंध में मामले के गुण-दोषों के बजाय ’अधिनियम’ की धारा 12 के परिप्रेक्ष्य मंे सामान्य नियम यह है कि ऐसे किषोर को अभिरक्षा से मुक्त किया जाना चाहिये। अपवाद की स्थिति वहा हो सकती है, जहा पर यह विष्वास करने के युक्तियुक्त आधार हो कि अभिरक्षा से मुक्त किये जाने पर ऐसे किषोर के ज्ञात अपराधियों के सानिध्य में आने की संभावना है अथवा निरोध से मुक्त किये जाने पर उसको नैतिक, भौतिक एवं मनोवैज्ञानिक रूप से खतरा होगा अथवा उसके कारण न्याय के हितों का हनन होगा।
भारतीय न्याय व्यवस्था nyaya vyavstha

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umesh gupta