साक्षियों की विलम्ब से की गई परीक्षा
इस संबंध में मान्नीय उच्चतम न्यायालय द्वारा बंटी बनाम मध्यप्रदेश राज्य ए.आई.आर. 2004 एस.सी. 261 2004 एस.सी.सी. 41 वाले मामले में अभिनिर्धारित किया था जहां तक साक्षियों की विलम्ब से की गई परीक्षा का संबंध है । इस न्यायालय ने अनेक विनिश्चियों में यह अभिनिर्धारित किया है कि जब तक कि अन्वेषक अधिकारी से स्पष्ट रूप से यह न पूछ लिया जाए कि साक्षियों की परीक्षा करने में विलम्ब क्यों हुआ है, प्रतिरक्षा पक्ष इस बात से कोई फायदा नहीं उठा सकता ।
इसे हर जगह लागू होने वाले नियम के रूप में अधिकथित नहीं किया जा सकता कि यदि किसी विशिष्ट साक्षी की परीक्षा में कोई विलम्ब हुआ है तब अभियोजन पक्ष कथन संदेहास्पद बन जाएगा क्यों कि यह बात बहुत से संघटको पर निर्भर करती है ।
यदि परीक्षा में हुए विलम्ब की बावत् दिया गया स्पष्टीकरण तर्क संगत और स्वीकार्य है और न्यायालय भी इसे तर्क सम्मत स्वीकार करता है तब निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है ।
इस संबंध में मान्नीय उच्चतम न्यायालय द्वारा बंटी बनाम मध्यप्रदेश राज्य ए.आई.आर. 2004 एस.सी. 261 2004 एस.सी.सी. 41 वाले मामले में अभिनिर्धारित किया था जहां तक साक्षियों की विलम्ब से की गई परीक्षा का संबंध है । इस न्यायालय ने अनेक विनिश्चियों में यह अभिनिर्धारित किया है कि जब तक कि अन्वेषक अधिकारी से स्पष्ट रूप से यह न पूछ लिया जाए कि साक्षियों की परीक्षा करने में विलम्ब क्यों हुआ है, प्रतिरक्षा पक्ष इस बात से कोई फायदा नहीं उठा सकता ।
इसे हर जगह लागू होने वाले नियम के रूप में अधिकथित नहीं किया जा सकता कि यदि किसी विशिष्ट साक्षी की परीक्षा में कोई विलम्ब हुआ है तब अभियोजन पक्ष कथन संदेहास्पद बन जाएगा क्यों कि यह बात बहुत से संघटको पर निर्भर करती है ।
यदि परीक्षा में हुए विलम्ब की बावत् दिया गया स्पष्टीकरण तर्क संगत और स्वीकार्य है और न्यायालय भी इसे तर्क सम्मत स्वीकार करता है तब निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है ।
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