धारा-157 द.प्र.सं.के अंतर्गत एफ.आई.आर. की प्रतिलिपि
मान्नीय उच्चतम न्यायायल द्वारा सवरन ंिसह विरूद्ध पंजाब राज्य ए.आई. आर. 1976 सुप्रीम कोर्ट 2304
पाला ंिसह बनाम स्टेट आफ पंजार्ब ए.आइ. आर. 1972 सुप्रीम कोर्ट 2679,
रामबिहारी विरूद्ध स्टेट आफ बिहार ए.आइ.आर. 1998 सुप्रीम कोर्ट 1850,
में अभिनिर्धारित किया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट को प्रेषित करने में विलम्ब मात्र ऐसी परिस्थिति नहीं मानी जा सकती जिसके आधार पर सम्पूर्ण अभियोजन मामले का परित्याग किया जाये।
ऐसी स्थिति मे आरोपीगण को धारा-157 द.प्र.सं.के अंतर्गत संबधित न्यायिक दण्डाधिकारी को एफ.आई.आर. की प्रतिलिपि प्राप्त न होने पर धारा-157 दं.प्र.सं. के अंतर्गत कोई प्रतिकूल प्रभाव इस मामले में न पडने के कारण अभियोजन मामले पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है ।
न्यायदृष्टांत 2001 भाग-2 म.प्र.वि.नो. क्र. 64 में प्रतिपादित दिशानिर्देशों से कोई लाभ प्राप्त नही होता है ।
मान्नीय उच्चतम न्यायायल द्वारा सवरन ंिसह विरूद्ध पंजाब राज्य ए.आई. आर. 1976 सुप्रीम कोर्ट 2304
पाला ंिसह बनाम स्टेट आफ पंजार्ब ए.आइ. आर. 1972 सुप्रीम कोर्ट 2679,
रामबिहारी विरूद्ध स्टेट आफ बिहार ए.आइ.आर. 1998 सुप्रीम कोर्ट 1850,
में अभिनिर्धारित किया है कि प्रथम सूचना रिपोर्ट को प्रेषित करने में विलम्ब मात्र ऐसी परिस्थिति नहीं मानी जा सकती जिसके आधार पर सम्पूर्ण अभियोजन मामले का परित्याग किया जाये।
ऐसी स्थिति मे आरोपीगण को धारा-157 द.प्र.सं.के अंतर्गत संबधित न्यायिक दण्डाधिकारी को एफ.आई.आर. की प्रतिलिपि प्राप्त न होने पर धारा-157 दं.प्र.सं. के अंतर्गत कोई प्रतिकूल प्रभाव इस मामले में न पडने के कारण अभियोजन मामले पर अविश्वास नहीं किया जा सकता है ।
न्यायदृष्टांत 2001 भाग-2 म.प्र.वि.नो. क्र. 64 में प्रतिपादित दिशानिर्देशों से कोई लाभ प्राप्त नही होता है ।
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